हमारे धर्मग्रंथ वेद में कहा गया है कि अपनी इंद्रियों का स्वामी बनिए। जो मनुष्य अपनी इंद्रियों पर अधिकार प्राप्त कर लेता है वास्तव में वही संपूर्ण आनंद को प्राप्त होता है।
ज्यादा सोचने की बीमारी का इलाज, होने वाली बीमारी, दिमाग पर क्या असर पडता है?, (jyada sochne se kya hota hai , ke nuksan, lakshan, kaise bache )
यदि आप किसी प्रकार ये सिख पाएं की अपने मन को एकाग्र कैसे करे तो उस मन को जित कर चंचलता को शांत कर पाए तो आपको ज्यादा सोचने की बीमारी का इलाज भी मिल जाएगा काफी व्यक्तियों को लगता है कि ज्यादा सोचने से छुटकारा पाना सरल नहीं परंतु मित्रों ऐसा नहीं है।
ज्यादा सोचने से छुटकारा पाने का तरीका तो बड़ा ही सरल है मैं यहां आपको कई प्रकार के तरीके बताऊंगा जो कि आप अपनी पूरी दिनचर्या में खाते पीते सोते जागते नहाते हर समय प्रयोग कर सकते हैं और जब आप इसमें सफलता प्राप्त कर लेंगे कुछ दिनों के अभ्यास के बाद तो आपको ज्यादा सोचने से छुटकारा मिल जाएगा।
15 मिनट के अभ्यास से ज्यादा सोचने की बीमारी का इलाज करें
यहां मैं 15 मिनट का एक विशेष अभ्यास आपको बताऊंगा जिसके अभ्यास से आप ज्यादा सोचने की बीमारी का इलाज कर सकते हैं। यह अभ्यास आपको रोज सुबह और शाम को करना है। किसी भी प्रकार के अभ्यास को अपने जीवन में ढालने के लिए उसका 30 दिन तक कुछ भी करके अभ्यास जरूर करें फिर यह चीज आपके जीवन का अंग बन जाएगी।
- सबसे पहले आपको कुछ सूक्ष्म व्यायाम करने हैं ताकि आपके शरीर का रक्त संचार अच्छी प्रकार से शुरू हो जाए। सूक्ष्म व्यायाम को सीखने के लिए आप यह वीडियो देख सकते हैं।
- अब आप एक साफ-सुथरी दरी बिछालें।
- कमर गर्दन सीधी करके बैठ जाएं ध्यान रहे 15 मिनट तक आपके शरीर का कोई अंग ना हिले।
- यदि आप जमीन पर ना बैठ पाए तो किसी कुर्सी पर बैठ सकते हैं बस रीड की हड्डी सीधी रहनी चाहिए यदि आप बैठ भी नहीं सकते तो आप लेटे रह सकते हैं।
- अब अपने मन को अपने नाक के आगे वाले हिस्से पर टीका दे।
- आपकी नाक के जो दोनों छेद हैं वहां सांसों का आना जाना होता है।
- जब सांस आपके भीतर जाती है तो इन्हीं नाक के दोनों छेदों से होती हुई जाती है और वहां टकराती है।
- जब सांस बाहर आती है तो इन्हीं दोनों छेदों से होकर बाहर आती है और यहां टकराती है।
- बस आपको सांस के इस टकराने को महसूस करना है।
- जब आप इसका अभ्यास शुरू करेंगे तो आपको कई प्रकार के विचार आएंगे परंतु आपको विचार को छोड़कर अपने अभ्यास में लगे रहना है।
- धीरे-धीरे अभ्यास के परिपक्व हो जाने पर लगातार 15 मिनट तक आप वर्तमान में रहते हुए केवल सांस को ही अनुभव कर पाएंगे।
सांसो पर ध्यान लगाओ और ज्यादा सोचने से छुटकारा पाओ
मित्रों जब भी आप अपनी सांसो पर ध्यान लगाएंगे तो उस समय आप वर्तमान में होंगे और जवाब यह अभ्यास सुबह शाम दोनों समय करेंगे तो आप धीरे-धीरे अपने मन को अपने वश में करने लगेंगे।
लगभग कुछ दिनों के अभ्यास के बाद आप खुद देखेंगे कि अब आप ज्यादा सोचने की बीमारी से दूर होने लगे हैं अब आप अपना पूरा ध्यान अपने कार्यों पर ही लगा रहे हैं।
आप खुद अनुभव करेंगे कि पहले आप व्यर्थ की बातें ज्यादा सोचने में लगे रहते थे अब आप व्यर्थ का सोचना बंद कर चुके हैं क्योंकि अब आप के अधिकार में आपका मन होने लगा है अब आप मन के दास नहीं मन के स्वामी बनने के मार्ग पर बढ़ चले हैं।
ज्यादा सोचने से होने वाली 5 बीमारी
आपकी गलत दिनचर्या का ही परिणाम है कि ज्यादा सोचने से होने वाली बीमारी आपके शरीर पर दिखती है। समस्या ही जब उत्पन्न हुई है जब आपकी पूरी दिनचर्या ही खराब रही है या फिर आप आवश्यकता से ज्यादा ही आशाएं लगाए बैठे हैं तभी तो व्यक्ति अधिक चिंतित रहता है और अधिक उस विषय में सोचता रहता है। अब ज्यादा सोचने से यह समस्याएं आपको देखने को मिलेंगी।
- अधिक सोचने के कारण अधिक चिंता व्यक्ति को रहती है जिसके कारण नींद ना आना एक समस्या होती है।
- ज्यादा सोचते रहने के कारण व्यर्थ की बातें सोचते रहने के कारण सिर भी भारी भारी होने लगता है।
- व्यर्थ की बातें सोचते रहने के कारण आपका स्वभाव थोड़ा चिड़चिड़ा हो सकता है।
- जब अधिक सोचते रहते हैं बेफालतू की बातें सोचते रहते हैं तो आपको नींद ठीक से नहीं आती है जिसके कारण आपके शरीर में वह उर्जा वह ताकत नहीं रहती है थकान सी बनी रहती है।
- ज्यादा सोचने वाले व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है क्योंकि वह चिंतन नहीं कर रहे होते हैं चिंता कर रहे होते हैं जिसके कारण आपके शरीर पर असर तो पड़ता ही है और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है।
परंतु दोस्तों आप यदि अपनी दिनचर्या में बदलाव करें कुछ ध्यान योग के नियम अपने जीवन में डालें वेद उपनिषद को पढ़ें महाभारत रामायण को पढ़ें ऋषि-मुनियों को पढ़े और जाने तो आप जीवन जीने का सही ढंग जान पाएंगे और यह सारी बीमारियां आपकी गलत दिनचर्या के कारण हुई है समस्या इसी कारण उत्पन्न हुई है तो सुधार करते ही यह बीमारी भी लुप्त हो जाएगी।
ज्यादा सोचने के फायदे
अभी तक आपने नुकसान जाने अब हम जरा फायदे भी जान लेते हैं अब आप सोच रहे होंगे कि भाई ज्यादा सोचने से तो नुकसान ही बताए हैं तो भला इसके फायदे क्या होंगे जी हां ज्यादा सोचने के फायदे भी हैं।
- यदि आप चिंतन कर रहे होते हैं यानी सकारात्मक रूप से सोच रहे होते हैं तो आप नए विचारों को उत्पन्न करते हैं।
- और जिस क्षेत्र में आप कार्य कर रहे होते हैं उस क्षेत्र से संबंधित यदि आप सही प्रकार से चिंतन कर रहे होते हैं तो वहां आपको नए प्रकार के विचार आते हैं।
- इन नए प्रकार के विचारों के कारण आप नई प्रकार की सफलताएं प्राप्त करते हैं।
- उदाहरण से समझिए मान लीजिए कोई वैज्ञानिक है और वह नए प्रकार के वायुयान पर कार्य कर रहा है। अब इस विषय में चिंतन करता है विचारता है कि किस प्रकार कोई ऐसा वायुयान बनाया जाए जो ब्रह्मांड में फैली ऊर्जा का ही इंधन बनाकर गति करें।
- इस विषय में चिंतन करने से उसको अलग-अलग प्रकार के विचार आएंगे वह अलग-अलग प्रकार से सोचेगा।
- और क्या पता सोचते-सोचते इस विषय में चिंतन करते करते उसे कोई ऐसा उपाय सूझ जाए जिससे वह इसमें सफलता प्राप्त कर ले फिर संसार में उसका नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
इस प्रकार सकारात्मक रूप से अच्छी प्रकार सोचने के फायदे भी मिलते हैं परंतु यह तो सोचने वाले पर निर्भर करता है कि वह चिंता कर रहा है या चिंतन।
ज्यादा सोचने के कारण
आइए अब हम जानते हैं ज्यादा सोचने के कारण क्या है आखिर कोई व्यक्ति ज्यादा सोचता ही क्यों है?।
नकारात्मक सोचने के कारण
- बचपन में माता-पिता अपने बच्चों पर बोझ डालते हैं बोलते हैं कि तुम्हें प्रथम ही आना है नंबर अच्छे नहीं आए तो तुम्हे ये नहीं मिलेगा वह नहीं मिलेगा तुम्हारी पिटाई होगी।
- बचपन में ही बच्चों के मन में यह बात डाल दी जाती है कि सफलता ही सब कुछ है असफलता बहुत बुरी चीज है।
- बचपन में माता-पिता अपने बच्चों को बोलते हैं बेटा बेटी तुम्हें बड़े होकर डॉक्टर बनना है तुम्हें बड़े होकर इंजीनियर बनना है देखो पड़ोस का लड़का कितना अच्छा पढता है तुम्हें भी उसके जैसा बनना है। माता पिता ये भूल जाते हैं की कोई किसी के जैसा नहीं बनता हर कोई खुद में भिन है।
- जन्म से ही बालकों को केवल सफलता के लिए सिखाया जाता है उन्हें इस बात के लिए तैयार ही नहीं किया जाता की असफलता भी सफलता का ही मार्ग दिखाती है।
- जब यह बालक बड़े होते हैं और बचपन के दिखाए हुए सपने पूरे होते हुए नहीं दिखते तो वे सदैव ही ज्यादा सोचते रहते हैं लेकिन उनका सोचना नकारात्मक रूप लिए होता है।
यह मैंने केवल एक उदाहरण के माध्यम से आप को समझाने का प्रयास किया है इसी प्रकार से लाखों कारण निकाले जा सकते हैं कोई व्यक्ति कैसा सोच रहा है सही या गलत यह उसके भूतकाल से निकलकर ही बात आती है और समाधान भी भूतकाल को जानकर ही निकाला जा सकता है।
क्या ज्यादा सोचना बीमारी है
यदि आपके मन में भी यह सवाल आता है क्या ज्यादा सोचना बीमारी है तो इसका उत्तर यह है कि यह बीमारी है भी और नहीं भी यह निर्भर करता है कि आप चिंता कर रहे हैं या चिंतन कर रहे हैं। और ऊपर लिखी जानकारी को पढ़ कर आप ये बात समझ भी गए होंगेैं।
इस लेख से आपने क्या सिखा
आज इस लेख में आपको ये बताने का प्रयास किया है की ज्यादा सोचने से क्या होता है? इसका इलाज क्या है ध्यान रहे आपका अभ्यास ही आपको विजय प्राप्त करवाता है इसीलिए कभी भी अभ्यास नहीं छोड़ना चाहिए एक तो सांसो पर ध्यान लगाने का अभ्यास आपकी समस्याओं को दूर करेगा दूसरा गायत्री मन्त्र आपका जीवन बदल देगा ।
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बहुत बहुत धन्यवाद आर्य जी , की आपने इस विषय को उठाया । आजकल अधिकतर मनुष्य चिंता , डिप्रेशन से पीड़ित है ; परंतु किसी को बताने से झिझकते है । आजकल इसी करना से आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है। लोग शारीरिक स्वास्थ्य की बातें तो बताते है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य और बाल कैसे बढ़ाएं इसको कोई नही बताता।
आपसे अनुरोध है की मानसिक स्वास्थ्य और बाल बड़ाने पर वेदों में क्या बताया है, इस पर और भी लेख और विडियोज से हमारा मार्ग दर्शन कीजिए
शरीर के साथ मानसिक तौर पर भी कैसे मजबूत बना जाए , इसपर भी समाज को ध्यान देने की आवश्कता है, क्युकी यदि मन ही चिंता में रहेगा तो न तो व्यायाम हो पता है ना ही योग।
धन्यवाद जी।
नमस्ते जी, भाई मेरा पूरा प्रयास होगा आप सभी तक और भी अच्छी जानकारी पोहचाने का