नारी शिक्षा का महत्व | वेद भगवान ने क्या आदेश दिया नारी शिक्षा के लिए

नारी शिक्षा का महत्व व्याख्या

संसार में केवल प्राचीन भारत में स्त्री नारी शिक्षा का महत्व अधिक था उस समय सभी वेद आज्ञा को मानते थे हमारी श्रेष्ट संस्कृति में अनेको विदुषी महिलाएं हुई हैं जैसे लोपामुद्रा, सिकता, घोषा, , गार्गी, अपाला, अपाला, मैत्रेयी, आदी आर्यावर्त से महान संस्कृति न कोई थी न होगी।

जिस समय विदेशो में नारी को पशु से भी कम समझा जाता था अंग्रेज इसाई तो नारी में आत्मा नहीं होती ये बोलते थे उस समय भारत की महान संस्कृति में नारी शिक्षा का महत्व बहुत अधिक था. अनेको विद्वान स्त्री हुआ करती थी जिस समय भारत के ब्रहामण वेद की आज्ञा का पालन करते थे उस समय तक इस देश में सभी को समान शिक्षा वो देते थे।

फिर एक युग एसा भी आया जब वर्ण ख़तम हुए और उसके स्थान पर उच्च नीच को बढावा देने वाली जातियां आई नारी को वेद विद्या से दूर रखा गया लेकिन उस अन्धकार के समय भी भारत की महिलाओं की वो दुर्गति नहीं थी जो इसाई देशो में देखने को मिलती थी।

भारत में समय बदलता रहा विचार बदलते रहे कभी किसी का पलडा भारी होता तो कभी किसीका चाहे किसी भी समय में कैसे भी लोग रहे हो परन्तु भारत विद्या के शेत्र में संसार में अग्रणी बना रहा।

जब यहाँ अंग्रेज आए तो उन्होंने हमारी प्राचीन श्रेष्ठ विद्या को नष्ठ करने के लिए और भारतीयों के दिमाग में नोकर बन्ने की अपनी वाहियात पढाई शुरू की।

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नारी शिक्षा का महत्व 9 फायदे

नारी शिक्षा के फाएदे क्या हैं

वर्तमान के हालातों को देखने के बाद ही आप इन 9 प्रकार के महत्व को समझ पाएँगे वर्तमान पीढ़ी में जो कमियां दिखती है वो माता पिता के शिक्षित ना होने का ही परिणाम है ध्यान रहे पढ़ाई और शिक्षा में अंतर होता है वो आप आखिर में जानेगे।

  1. नारी यदि शिक्षित हो तो वो श्रेष्ठ भोजन बनाकर अपने परिवार को सुखी रख सकती है .
  2. घर के हिसाब किताब को भली प्रकार जान कर आगे की श्रेष्ठ योजना बना सकती है .
  3. तनाव कभी उसे छू भी नहीं पाएगा .
  4. शिक्षित नारी की सन्तान श्रेष्ठ सन्तान होगी क्योकि माता ही निर्माता है .
  5. शिक्षित नारी कभी भी किसी पाखंडी के जाल में नहीं फसेगी आज अधिकतर नारी ही पाखंडियों के जाल में फसी हुई है .
  6. शिक्षित नारी कभी भी मुल्लो की पीर मजार पर नहीं जाएगी .
  7. नारी के शिक्षित होने से अच्छी सन्तान होगी अच्छी सन्तान से ये देश फिरसे आर्यावर्त बन जाएगा .
  8. वेद की शिक्षा प्राप्त महिला पुरुष ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले होते हैं .
  9. शिक्षित महिला ईश्वर के ध्यान का महत्व जानती है और उसे धारण करती है

वेद में नारी शिक्षा का महत्व क्या है

अब मैं आपको वेद से नारी शिक्षा का प्रमाण देता हूँ की वेद भगवान ने नारी की शिक्षा के लिए क्या आज्ञा दी है

नारी शिक्षा और वेद

स्त्री शिक्षा के बारे में वेद ज्ञान के माध्यम से हमे ईश्वर ने आज्ञा दी है कृप्या ध्यान से पढ़े

ऋग्वेद मंडल 1 सूक्त 79 मंत्र 1 ओर 2

देखिए वेद भगवान स्त्रियों की शिक्षा के विषय में क्या आदेश दे रहे हैं, अब इसे आप अपने पास रखना यदि कोई विधर्मी या कोई पंडा ये बोले की स्त्री को गायत्री मंत्र का अधिकार नहीं या फिर ये बोले की शास्त्रों की विद्या का अधिकार नही तो उसे ये दिखाकर बोल देना की खुद ईश्वर ने क्या आज्ञा दी है ये देखो और अपने विचार शुद्ध करो परंतु हमे द्वेष किसी से नही करना चाहिए ये बिचारे दया के पात्र हैं .

ऋग्वेद मंडल 1 सूक्त 79 मंत्र 1

हिर॑ण्यकेशी॒ रज॑सो विसा॒रेऽहि॒र्धुनि॒र्वात॑इव॒ ध्रुमान्।                                       
शुचि॑भ्राजा उ॒षसो॒ नवे॑दा॒ यश॑स्वतीरप॒स्युवो॒ न स॒त्याः ॥ मंत्र १ ॥

भावार्थ – इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। जो कन्याएँ चौबीस वर्ष पर्यन्त ब्रह्मचर्य सेवन और जितेन्द्रिय होकर छः अङ्ग अर्थात् शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष । उपाङ्ग अर्थात् मीमांसा, वैशेषिक, न्याय, योग, सांख्य और वेदान्त तथा आयुर्वेद अर्थात् वैद्यक आदि को पढ़ती हैं वे संसारस्थ मनुष्यजाति की शोभा करनेवाली होती हैं ॥ १ ॥

फिर वह विज्ञान कैसा हो यह विषय अगले मन्त्र में कहा है

ऋग्वेद मंडल 1 सूक्त 79 मंत्र 1

आ ते॑ सुप॒र्णा अ॑मिनन्तँ एवैः कृष्णो नौनाव वृषभो यदी॒दम् ।
शिवाभि॒र्न स्मय॑मानाभि॒रागा॒त्पत॑न्ति॒ मिह॑ः स्त॒नय॑न्त्य॒भ्रा ॥ २ ॥

भावार्थ — इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जिन विद्वान् ब्रह्मचारियों की विदुषी ब्रह्मचारिणी स्त्री हों वे पूर्ण सुख को क्यों न प्राप्त हों ॥ २ ॥

देखा मित्रो भूत काल में नारी की जो दुर्दशा थी उसके जिमेदार वेद मनुस्मृति या ऋषि मुनि नही थे बल्कि पाखंडी लोग थे खैर कर्म फल सिद्धांत अनुसार सभी का न्याय होगा

शिक्षा और पढाई में क्या अंतर होता है ?

शिक्षा – से मतलब वेदों की शिक्षा से है

  • शिक्षा इन्सान को जीने का ढंग सिखाती है .
  • शिक्षा इन्सान को इस प्रक्रति के साथ रहना सिखाती है .
  • शिक्षित मनुष्यों का अध्यात्मिक विकास होता है
  • शिक्षित व्येक्ती अन्धविश्वासी नहीं होता
  • शिक्षित व्येक्ती कभी मासाहारी नहीं होता .
  • शिक्षित मनुष्य कभी किसी की मज़बूरी का फायेदा नहीं उठता .
  • शिक्षित मनुष्य अपने छोटे बडों का सम्मान करता है .
  • शिक्षित व्येक्ती धर्म को जनता है इसीलिए कभी मूर्खो के बनाए भिन भिन किसी सम्प्रदाए को नहीं अपनाता .

पढाई – से मतलब मैकाले पढाई से है

  • आप कुते को शिक्षित नहीं कर सकते लेकिन पढ़ा सकते हैं यानी पढाई पशु दर्जे की चीज है शिक्षा के सामने इस पढाई का कोई महत्व नहीं .
  • पढ़ा हुआ व्येक्ती बुढापे में अपने माँ बाप को घर से निकालता है .
  • पढ़ा हुआ इंसान हमेशा नोकर बन्ने की चाहत ही रखता है .
  • पढ़ा हुआ व्येक्ती अपने साधारण रोग भी जड से ठीक नहीं कर सकता इसके लिए उसे वेद आयुर्वेद की शिक्षा लेनी होगी .
  • पढ़ी हुई कन्याएं अपनी सास की सेवा नहीं करती और ये सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है .
  • पढ़ा हुआ व्येक्ती शारीरिक वासनाओं को अधिक महत्व देता है वेद विद्या नहीं होने के कारण गर्भ से ही सन्तान निर्माण का पता नहीं होता .
  • पढ़ा हुआ व्येक्ती संयुक्त परिवार का महत्व नहीं समझता .
  • पढ़ा हुआ इंसान विदेशी भाषा को श्रेष्ठ और अपनी मात्र भाषा को निम्न मानता है .
  • पढ़ा हुआ व्येक्ती भ्रष्टाचारी देखने को मिलता है जब की शिक्षित व्येक्ती सर्वव्यापक न्यायकारी ईश्वर को मानते हुए मन में भी चोरी छल कपट को नहीं आने देता .

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वर्तमान में विदेशी पढ़ाई पढने के बाद भी कुछ लड़के लड़कियां अच्छे मिल जाते हें इसका कारण हैं उनके माता पिता की दी शिक्षा और उनके खुद के पूर्वजन्म के अच्छे संस्कार की अंग्रेजो की पढ़ाई के बाद भी उनमे गंदगी नहीं आई .

वेद आदि की विद्या के बाद भी कुछ व्येक्ती पूर्वकाल में दुष्ट होते थे जैसे रावण, जरासंध, कंस, आदि ये भी गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त थे परन्तु इनका आचरण विपरीत था जो जो गुण आजके अंग्रेजो की पढ़ाई पढ़े हुओ में मिलते हैं यानी की दुष्ट इन्सांस सभी कालों में होते हैं अच्छे बुरे की संख्या का निर्णय शिक्षा और पढाई पर निर्भर है .

गुरुकुल विद्या प्राप्त जो कम दुष्ट दिक्ते हैं एसे दुष्टों की संख्या काफी कम थी इसका कारण मुझे लगता है पूर्वजन्म के दूषित बलकारी संस्कार और वर्तमान के प्रियजनों की दी घृणा घमंड का ही कारण हो सकता है श्रेष्ठ गुरुकुल विद्या से भी वो अच्छा मानव ना बन सके थे .

लेख का निष्कर्ष

इस लेख कर निष्कर्ष ये है की प्राचीन भारत में नारी हो या पुरुष सभी शिक्षित थे आपको स्कूलों में इतिहास भाड़े के इतिहासकारों के द्वारा लिखा पढाया गया है और आप अभी अपनी प्राचीन विद्या विज्ञानं से पूर्ण परिचित नहीं है अभी के लिए ये लेख इतना ही काफी है आगे भी मैं नारी शिक्षा पर इस लेख में बहुत कुछ जोडूंगा जैसे उपनिषद और मनुस्मृति रामायण महाभारत से भी बहुत कुछ .

वर्तमान की पढ़ाई को सिख कर अपनी प्राचीन शिक्षा की तरफ आगे बढ़ना चाहिए और प्राचीन शिक्षा के प्रचार का प्रयास करना चाहिए , विदेशियों के संसाधन का प्रयोग अपने हित में हमें करना चाहिए

धन्यवाद नमस्ते जी 🙏 ओ३म्


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