साल 1900 का समय वो समय था जब पूरी धरती पर काफी बलशाली पुरुष और बलशाली महिलाएं निकल कर आते हैं। और यही समय था कलयुग के भीम प्राणायाम प्रेमी शुद्ध शाकाहारी पहलवान Professor Ram Murti Naidu जी का।
सब एक से एक थे, विदेशो में सैंडो थे जो एक हाथ से घोड़े को उठा देते थे।
भारत में गामा पहलवान थे जो कभी कोई कुश्ती नही हारे और एक बार गामा ने 1200 किलो का पत्थर उठाया था, ओर विश्विजेता गामा ने विदेशो के सभी शक्तिशाली पहलवानों को धूल चटाई।
किंतु ये सभी मासाहारी थे, यानी की अपना बल बढ़ाने के लिए इन्होंने दूसरे जीवित प्राणियों की हत्याएं की उन्हे मार मार कर खाया, इसीलिए इन राक्षसों की उपलब्धि कोई आदर्श उपलब्धि नही मानी जा सकती।
असली बलवान वो जो शाकाहारी भोजन से बल बढ़ाए।
उस समय काल में एक अखंड ब्रह्मचारी ऐसा आया जो शुद्ध शाकाहारी थे अंडा मांस तो छोड़िए प्याज लहसुन भी नही खाते थे, जिसने वायु स्तंभन और जल स्तंभन दोनो पर विजय प्राप्त करली थी,
ओर वो अखंड ब्रह्मचारी थे राममूर्ति जी
उस समय राममूर्ति जी जैसा सूर्य चमकता है जो पूरी दुनिया के बलशाली पुरुषो के बल को फीका कर देता है और देश दुनिया में अपने बल करतबों से बहुत सारे गोल्ड मेडल जीतता है,
इस चित्र में आप देख ही सकते हैं की अखंड ब्रह्मचारी राममूर्ति जी के सीने पर कितने गोल्ड मैडल हैं
प्रोफेसर राममूर्ति जी के बल करतब
राममूर्ति जी 4000 किलो से ज्यादा वजन के हाथी को तो छाती पर रोक लेते थे ये तो आप जानते हैं, किंतु उनका एक करतब ये भी था की 3600 किलो (तीन हजार छेसो किलो) के पत्थर को पीठ पर रख कर हिला देते ओर फिर नीचे गेर देते।
मित्रो क्या फिर से कोई मां भारती का बेटा या बेटी ऐसा कुछ कर पाएगा पता नही ये तो भविष्य में ही मालूम चलेगा
प्रोफेसर राममूर्ति की जीवनी कलयुग का भीम Part1
नमस्ते जी 🚩🙏 जय श्री राम 🚩🙏