Vedas Pdf वेद इश्वर का ज्ञान है जो इश्वर ने हम मनुष्यों की भलाई के लिए दिया है. वेद का सम्मान और पालन सभी मनुष्यों को करना चाहिए. वेद किसी एक धर्म के नही है ये मनुष्य मात्र के लिए है . दोस्तों आज इस लेख के माध्यम से आपको Vedas Pdf Download करने का मोका मिलेगा और वेदों के बारे में कुछ महतवपूर्ण सवालों के जवाब भी मिलेंगे इस लेख के माध्यम से.

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Vedas questions and answers
वेद किसको कहते है ? वेद क्या है?
वेद शब्द के अर्थ का मतलब ज्ञान है.
वेद कितने है? वेद कितने प्रकार के होते हैं नाम बताइए
वेद चार हैं जिनके नाम इस प्रकार है ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद हैं.
Vedas वेद में क्या है ? वेदों में क्या लिखा है?
मनुष्यों को किस तरह के काम करने चाहिएं; परिवार, समाज, देश और संसार की उन्नति कैसे हो सकती है; तथा संसार में शांति कैसे रह सकती है; ईश्वर की उपासना कैसे करनी चाहिए, इत्यादि सब बातें वेदों में बताई गई हैं। उनसे सबको लाभ पहुंच सकता है।
Vedas वेदों में कितने मन्त्र है ?
चारो वेदों में 20228 मंत्र है
वेदों का ज्ञान किसने और क्यों दिया ?
वेदों का ज्ञान ईश्वर ने दिया, जो सर्वज्ञ अर्थात् सब कुछ जानने वाला है। उसने यह ज्ञान इसलिए दिया कि सबको सुख-शांति और आनन्द प्राप्त हो सके। ईश्वर माता-पिता के समान हम सब पर दया करने वाला है। जैसे माता-पिता बच्चों की भलाई के लिए उन्हें अच्छी बातें सिखाते हैं, वैसे ही हम सबके परमपिता और दयालु माता-ईश्वर-ने
हमारे कल्याण के लिए वेदों का ज्ञान दिया, क्योंकि वह हम सबकी भलाई चाहता है।
वेदों का ज्ञान ईश्वर ने कब दिया ?
यह ज्ञान ईश्वर ने मनुष्य-सृष्टि के शुरु में दिया था। यदि पीछे देता तो पूर्व-सृष्टि उसके लाभ से वंचित रहती।
वेदों का ज्ञान ईश्वर ने क्यों और किसको दिया ? चार वेद किसने लिखे ?
वेद का लेखक कौन है वेदों का ज्ञान ईश्वर ने मनुष्य-सृष्टि के शुरु में ऋषियों को दिया, क्योंकि वे उस ज्ञान के बिना कुछ नहीं सीख सकते थे और न समझ सकते थे कि कौन से काम करने चाहिएं। जब तक हमें कोई लिखलाने वाला न हो तब तक हम लिखना-पढ़ना नहीं सीख सकते। सृष्टि के शुरू में सिवाय ईश्वर के कौन मनुष्यों को उपदेश देता ? उन चार ऋषियों के नाम, जिनको मनुष्य सृष्टि के शुरु में ईश्वर ने वेदों का ज्ञान दिया- अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा थे।
क्या ईश्वर ने कागज, कलम और स्याही लेकर लिख दिया, अथवा वह वेद-ज्ञान उन्हें कैसे दिया ?
ईश्वर सबके अन्दर व्यापक है। ऋषियों के हृदय पवित्र थे। ईश्वर ने उनके हृदयों में वेदों का ज्ञान भर दिया । ईश्वर को सर्वव्यापक तथा सर्वशक्तिमान् होने के कारण न कागज, कलम, स्याही की जरूरत है और न मुंह से बोलने की । बस, हृदयों को प्रेरणा देना ज्ञान भरने के लिए पर्याप्त था।
क्या ईश्वर का ज्ञान बदलता रहता है ?
नहीं, ईश्वर का ज्ञान सदा एकरस अर्थात् ठीक वैसा ही बना रहता है। उसे अपना ज्ञान बदलने की कोई जरूरत नहीं होती।
क्या वेद किसी विशेष जाति व देश के मनुष्यों के लिए हैं ?
नहीं, वेद सारे संसार के मनुष्यों के लिए हैं, क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य यही है कि सब प्राणी सुखी हो सकें। ईश्वर सारे संसार का पिता है, न कि किसी विशेष जाति व देश के लोगों का। इसलिए वेद पढ़ने का अधिकार उन सब मनुष्यों को है जो अच्छा बनना चाहते हैं। यही बात वेदों में स्वयं ईश्वर ने बताई है-
यथेमां वाच॑ कल्याणीमावदानि जनेभ्य:।
ब्रह्मराजन्याध्यां शूद्राय चार्याय चारणाय च स्वाय। ।
यजु० २६/२
इसका अर्थ यह कि सबकी भलाई करने वाले वेदज्ञान को मैने सारे मनुष्यों के कल्याण के लिए दिया है।
इसलिए ऋषि दयानन्द जी की इस आज्ञा को कभी मत भूलो और सदा वेद का स्वाध्याय किया करो-वेद विद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना सुनाना सब आर्यों का परमधर्म है।
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ओ३म् नमस्ते जी 🙏
Amit bhaiya last ki 2 pdf download nahin kar paya hun satyarth prakash aur pranayam wali, kripya karke link active karawein, abhaar rahega.
Bhawadiya
Peush
Bhai, iss site ke subscribe bali ghanti ko press kar notification ko allow karke baki do pdf download karne se download ho jaaegi.
मैं आपसे अभी नया तो नही कह सकते पर 6 महीने पहले ही जुड़ा हुआ हूं पर आपकीआपने कुछ किताबें या मेरे कहने का मतलब 4 वेद के अलावा
6 शास्त्र
18 पुराण
60 नीतियाँ
108 उपनिषद
की किताबें भी जो आपने पता दिया है वहां मिल जाएगी मेरा मार्गदर्शन करें
राम राम जी
hello sir,
can we get English translation of all four vedas
we will be obliged if we get it
please do the needful.
Krupya mujhey upnishad Hindi mai uplabdh karane ki krupa kigiye.