कुंभक का क्या अर्थ है? कुंभक प्राणायाम के नुकसान और फायदे क्या है? कुंभक कैसे करें?

कुंभक का क्या अर्थ है?, कुंभक प्राणायाम के नुकसान, फायदे, क्या है?, कुंभक कैसे करें?, (kumbhaka pranayama, kumbhak ke fayde, kumbhak )

कुंभक के बारे में विशेष जानकारी आज आपको इस लेख के माध्यम से प्राप्त होगी मेरा प्रयास होगा कि मैं आपको यहां पर ऐसी जानकारी दूं जिसका आप अपने जीवन में प्रयोग कर सकें और लाभ उठा सकें।

साल 2010 से में योग के क्षेत्र से जुड़ा हूं और स्वयं भी कुंभक की क्रिया करता हूं कुंभक के प्राणायाम से लेकर कुंभक के दंड बैठक आदि मैं खुद करता हूं तो यहां आपको मैं अपने अनुभव के आधार पर बताने का प्रयास करूंगा।

कुंभक के बारे में आपको रटी रटाई बातें लिखी लिखाई बातें बहुत सारी इंटरनेट पर मिल जाएंगी परंतु जो आपको बड़ी मुश्किल से मिलेगा वह यह है कि जो खुद कुंभक की क्रियाओं को करता हो और अपने अनुभव वह व्यक्ति साझा करें तो ही आपको वास्तविक लाभ मिल सकता है।

आइए सबसे पहले हम जानते हैं कि कुंभक का क्या अर्थ है?

कुंभक का क्या अर्थ है

कुंभक का क्या अर्थ है?

  • जब आप सांस को भीतर लेते हैं और भीतर ही सामर्थ्य अनुसार रोक कर रखते हैं तो इसे अभ्यंतर कुंभक कहा जाता है। 
  • जब आप श्वास को बाहर छोड़ देते हैं और बाहर ही अपने सामर्थ्य अनुसार छोड़े रखते हैं तो इसे बाह्य कुंभक कहा जाता है।
  • तो कुंभक का क्या अर्थ हुआ? इसका अर्थ यही हुआ अपने सामर्थ्य में रहकर श्वास रोकने की क्रिया को कुंभक कहा जाता है।

कुंभक प्राणायाम के नुकसान

अक्सर लोग पूछते हैं क्या कुंभक प्राणायाम के नुकसान भी होते हैं? मैं तो उन्हें यही बोलता हूं कि आप जिस भी चीज में अति कर जाएंगे तो उसके नुकसान आपको जरूर होंगे। नुकसान कुंभक के नहीं है परंतु अति करने के नुकसान होते हैं।

यह नुकसान वाली बात केवल कुंभक पर ही नहीं संसार में आपके द्वारा किए गए हर कार्य पर लागू होती है चाहे आप भोजन करते हो, पानी पीते हो, व्यायाम करते हो, पढ़ते हो, कुछ भी करते हो यदि उसमें आप जबरदस्ती करते हैं तो निश्चित ही उसके गलत प्रभाव आपके शरीर और मन पर पडते हैं तो हमें अति से बचना चाहिए और मध्यम मार्ग पर आना चाहिए।

कुंभक प्राणायाम क्या है?

महर्षि पतंजलि ने पतंजलि योग दर्शन में प्राणायाम के बारे में बताया है ये 4 प्रकार के हैं।

भगवान पतंजली ने पतंजली योगदर्शन में 4 प्रकार के प्राणायाम बताये हैं

  1. बाह्य प्राणायाम Bahya Pranayam
  2. आभ्यन्तर प्राणायाम Abhyantar Pranayam
  3. स्तम्भवृत्ति प्राणायाम stambh vritti pranayama
  4. बाह्माभ्यांतर विषयाक्षेपी प्राणायाम bahya abhyantar vishyakshepi pranayam

कुंभक योग में क्या महत्व है?

योग में कुंभक का काफी महत्व है ध्यान करने से पहले कुंभ के प्राणायाम किए जाते हैं जिसे करने से नाड़ियों का शोधन होता है मन की एकाग्रता बढ़ती है यानी धारणा मजबूती की तरफ बढती है तो कुंभक का योग में काफी महत्व है।

कुंभक का व्यायाम में क्या महत्व है?

कुंभक का व्यायाम में काफी अधिक महत्व है भारत में व्यायाम में कुंभक के महत्व को सबसे पहले ब्रह्मचारी राममूर्ति जी ने ही समझा था। ब्रह्मचारी राममूर्ति जी कुंभक की विधि से ही व्यायाम किया करते थे जिसके कारण उनके भीतर हाथी जैसा बल था। 

कुंभक के व्यायाम करने के कारण ब्रह्मचारी राममूर्ति जी में इतना अधिक बल था कि वे 5 मिनट तक छाती में सांस को रोक कर हाथी को अपनी छाती पर खड़े रखते थे।

कुंभक के साथ व्यायाम करने से कम समय में ही आपके पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है और मांसपेशियों की ताकत भी बहुत अधिक बढ़ती है।

कुंभक प्राणायाम बाबा रामदेव

कुंभक प्राणायाम के फायदे

कुंभक प्राणायाम के अनेकों अनेकों फायदे हैं आइए आपको मैं कुछ फायदे बताता हूं जिससे आपके अंदर एक उत्सुकता बढ़ेगी कि हां हमें भी कुंभक के प्राणायाम कुंभ के व्यायाम आदि करने चाहिए और कुंभक हमें करना चाहिए।

  1. कुंभक करने से शरीर में प्राण वायु अधिक प्रवेश करती है।
  1. प्राणवायु शरीर में अधिक होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे आप बार-बार बीमार नहीं पड़ते हैं।
  1. कुंभक करने के बाद मन एकदम शांत हो जाता है जिसके बाद यदि ध्यान लगाया जाए तो काफी अच्छी आपकी धारणा बनती है और काफी अच्छा आप ध्यान की तरफ आगे बढ़ पाते हैं।
  1. कुंभक लगाकर दंड बैठक लगाने से आप का सीना अत्यधिक विशाल बनना शुरू हो जाता है।
  1. कुंभक करने से आप के फेफड़े मजबूत बनते हैं काफी देर तक सांस रोकने की क्षमता बढ़ती है फेफड़े आपके बलशाली बनने के कारण फेफड़ों से संबंधित कोई रोग आपको होता नहीं है।

कुंभक प्राणायाम कैसे करें?

कुंभक प्राणायाम को अच्छी प्रकार से समझ लेना चाहिए तभी हमें यह प्रणायाम करना चाहिए। केवल लिख देने से ही बात समझ में नहीं आएगी इसीलिए मैं आपके साथ अपनी कुछ वीडियो साझा कर रहा हूं आप इन वीडियो को देखें और जाने की किस प्रकार से कुंभक प्राणायाम किया जाता है।

कुंभक प्राणायाम की पूरी प्लेलिस्ट देखें

कुंभक के 6 प्राणायाम भी सीखें

कुम्भक किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?

श्वास को रोकने की क्रिया को कुंभक कहते हैं पतंजली योगदर्शन में कुंभक 4 प्रकार का है,
बाह्य प्राणायाम
आभ्यन्तर प्राणायाम
स्तम्भवृत्ति प्राणायाम
बाह्माभ्यांतर विषयाक्षेपी प्राणायाम

कुंभक करने से क्या होता है?

कुंभक करने से फेफडे मजबूत होते हैं रक्त में प्राण वायु अधिक आती है जिससे मासपेशियो का बल बढ़ता है ।


कुंभक के दौरान कौन सा बंद लगाया जाता है?

बाह्य कुंभक में केवल मुलबंध लगाना चाहिए अभ्यास के बाद मुलबंध को लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ती खुद से लगजाता है ।

इस लेख से आपने क्या सिखा?

कुंभक क्या है कैसे करें ये सब जानकारी आपने आज इस लेख के माध्यम से सीखी है यदि आप बताए अनुसार ही कुंभक करेंगे तो आपको काफी लाभ होगा ।

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