आसन कब कैसे करें । आसनों से लाभ हानी। आसनों का मनुष्य शरीर पर प्रभाव

आसन तथा अन्य व्यायामों का समय

आसन और अन्य दण्ड बैठक आदि का व्यायाम दोनों ही साथ-साथ करने हों तो पहले आसन करने चाहिये और asan मैं भी सर्वप्रथम शीर्षासन करना चाहिये, तत्पश्चात् अन्य व्यायाम करना चाहिये। yogasan करने का सर्वोत्तम समय प्रातःकाल शौचादि से निवृत्त होने के उपरान्त है । प्रातःकाल yogasan प्राणायाम ध्यान आदि का.

व्यायाम करने से पढ़नेवाले विद्यार्थियों तथा मस्तिष्क का कार्य करनेवालों को दिन में आलस्य भी नहीं आता किन्तु प्रातःकाल शरीर भलीभांति मुड़ता नहीं, क्योंकि रात्रि में सोने के कारण शरीर अकड़ जाता है , इसलिए जिन yogasan में अधिक मुड़ने की आवश्यकता पड़ती है वे yogasan सायंकाल करने चाहिये । कुछ समय के अभ्यास के पश्चात् वे प्रात.काल भी किये जा सकते हैं।

अतः प्रातःकाला आसन, साधारण दण्ड तथा बैठक और दौड़ने का व्यायाम करना उचित है और सायंकाल कठिन व्यायाम दण्ड, बैठक, मल्लयुद्ध (कुश्ती), मुग्दर आदि का व्यायाम करना अतीव लाभप्रद है, क्योंकि शरीर के श्रान्त हो जाने से रात्रि में गाढ़ी निद्रा आयेगी जिससे वीर्य-सम्बन्धी रोग भी न होगा। “एका क्रिया द्व्यर्थकरी प्रसिद्ध” के अनुसार शरीर भी सुगठित होगा और ब्रह्मचर्य की रक्षा भी होगी।

आसन कब कैसे करें

आसन किसे न करने चाहिये

सामान्यतः आसन करने का अधिकार स्वस्थ और नीरोग स्त्री-पुरुष को है। परन्तु बहुत से रोगों की चिकित्सा भी yogasan के द्वारा की जाती है रोगों में यह स्थायी होती है । अतः जिन-जिन रोगों में जो जो yogasan लाभदायक हों, वे-वे अवश्य ही करने चाहिये। कुछ आसन ऐसे भी हैं जो स्त्रियों को नहीं करने चाहिये, उनका उनकी विधि के साथ आगे के लेख में बता दिया जाएगा। ऋतु काल ओर ग्रभावस्था में भी आसन नहीं करने चाहिए।

आसनों का प्रभाव

मन को वश में करने की विधि क्या है ?

Yogasan का प्रभाव अन्य व्यायाम की अपेक्षा विलम्ब से होता है बैठक आदि के व्यायाम का प्रभाव एक महीने में ही दिखने लगता है किन्तु yogasan के सम्बन्ध में ऐसा नहीं है । इनका लाभ विलम्ब से प्रतीत होता है, किन्तु उतना ही चिरस्थायी भी होता है । वही बात है-“सहज पके सो मीठा होय“।

अतः यथाविधि yogasan का दीर्घकाल तक अभ्यास करना चाहिए, तो लाभ होगा । शीघ्र लाभ की आशा से yogasan के करने में शीघ्रता नहीं करनी चाहिये, उससे लाभ के स्थान में हानि ही होगी। क्योंकि आसनों का सम्बन्ध आभ्यन्तर सूक्ष्म नस और नाड़ियों से है, उनके लिए साधारण अनियमता भी असाधारण हानिकारक होगी। अतः जिन आसनों के विषय में जो भी नियम बताये जावें उनका ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिये, तभी लाभ होगा।

yogasan करने के लिए किसी आसनाभ्यासी व्यक्ति से yogasan की विधि सीख ले तो और भी अच्छा है । आसन संख्या में बहुत है किन्तु स्वास्थ्य रक्षा और ब्रह्मचर्य की दृष्टि से जो आसन अधिक लाभदायक हैं उनकी लेख के माध्यम से यहां जानकारी देदी जाएगी।

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