वृक्षासन और ऊर्ध्व हस्त पद्मासन के बारे में आपको बतायेंगे ये दोनों ही आसन शीर्षासन के जैसे है और लाभ भी अधिक देते है . दोस्तों सबसे पहले में आपको एक सलाह देना चाहूँगा देखिये इन्टरनेट पर यदि आप कोई भी आसन आदि ढूंढ रहे है तो इन्हें केवल जानकारियों तक ही सिमित रखें .
किसी भी आसन का लाभ तभी मिल पायेगा जब आप आमने सामने किसी जानकर से एक बार सिखलेवे तभी पूरा पूरा लाभ मिलता है . ज्यादातर ये ही देखने में मिलता है की ज्यादातर व्येक्ती पूरा लाभ प्राप्त नही कर पाते फिर वो आसनों को करना बंद कर देते है .
ऊर्ध्व हस्त पद्मासन कैसे करते हैं?
ऊर्ध्व हस्त पद्मासन के लिए हाथों पर सम्पूर्ण शरीर के भार को संतुलित कर शनै: शनैः पांवों को ऊपर ले जावें । ऊपर ही कुछ समय तक ठहरकर पद्मासन लगावें, सिर नीचे की ओर जहां तक हो सके सीधा रहना चाहिए
urdhva hasta padmasana के लाभ क्या है
इस आसन के करने से शरीर अपने वश में हो जाता है, हाथों का बल विशेषतः बढ़ता है, ग्रीवा मजबूत होती है। यह भी शीर्षासन के ही समान गुण वाला है।
अब हम जानते है की वृक्षासन कैसे करते है
वृक्षासन कैसे करते हैं ?
वृक्षासन विधि- पहले सीधे खड़े हो जावें, पश्चात् हाथों को भूमि पर जमाकर पांवों को शनैः शनैः उठाकर ऊपर ले जाएं और शीर्षासन की भांति बिल्कुल सीधे कर देवें, दोनों पांव मिले हुए रहें। वृक्ष की भांति शरीर सीधा एवं तना हुआ रहना चाहिये।
Vrikshasana के लाभ क्या है
इसके लाभ शीर्षासन के समान हैं, इसके करने से विशेषतः हाथों का बल बढ़ता है, हाथों की कलाई और पंजे सुदृढ होते हैं।
यदि आपने विस्तार से शीर्षासन वाला लेख नही पढ़ा है तो उसे जरुर पढ़े उसमे सब कुछ विस्तार से बताया है शीर्षासन से ब्रह्मचर्य रक्षा कैसे करें
दोस्तों मुझे आशा है की आपको ये लेख पढ़ कर कुछ नया सिखने को मिला होगा मित्रो हमें रोज कुछ न कुछ अच्छा सीखते रहना चाहिए . नमस्ते जी
अमित भईया मेरा नाम अनुराग है । मैं वेदिक विचारधारा से बहुत प्रभावित हूँ । मैं vishudh मनुस्मृति पढना चाहता हूँ पर विध्यार्थी होने के कारण मैं मनुस्मृति नहीं खरीद पा रहा ।
आपकी बड़ी कृपा होगी यदि आप उप्लब्ध करा सके ।
आपकी आज्ञा हो तो मैं अपना पता बताऊँ ।
एक दिन हमे अवश्य मिलना है।