प्रोफेसर राममूर्ति professor ram murti नायडू जी को कलयुग का भीम भी कहा जाता है राममूर्ति नायडू जी में इतना अधिक बल था कि हाथी को भी अपनी छाती पर रोक लिया करते थे आज तक ऐसी ताकत का प्रदर्शन दुनिया में कोई नहीं कर पाया है क्योंकि प्रोफेसर राममूर्ति जी ब्रह्माचार्य का पालन करते थे और प्राणायाम में भी बहुत अधिक निपुण थे और व्यायाम बिल्कुल पुरानी पद्धति से करते थे जैसे कि हमारे ऋषि-मुनियों ने बताया है उन्होंने खोज निकाला था उस व्यायाम कि पद्धति को जिससे उनके अंदर इतना अधिक बल आगया था। indian hercules

दोस्तों यह लेख थोड़ा सा लंबा हो सकता है लेकिन यह लेख आप पूरा पढ़ना इसके बाद में आपको प्रोफेसर राममूर्ति नायडू जी के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल जाएगी और यदि आप व्यायाम करते हैं तो और भी अधिक जरूरी है आप इस लेख को पढ़ें।

प्रोफेसर राममूर्ति Professor ram murti biography in hindi
आर्य समाज के विद्वान ब्रह्मचारी सन्यासी स्वामी ओमानंद जी ने जो कि खुद भी ब्रह्मचारी थे उन्होंने प्रोफेसर राममूर्ति जी के विषय में काफी महत्वपूर्ण लेख लिखा है प्रोफेसर राममूर्ति जी ने खुद जो अपने जीवन के बारे में लिखा था वहीं उन्होंने अपनी पुस्तक में बताया है।
- प्रोफेसर राम मूर्ति का जन्म अप्रैल 1882 में हुआ था
- राममूर्ति जी लिखते हैं 5 वर्ष की आयु में मुझे दमे के लक्षण दिखाई दिए।
- पिताजी की आज्ञा से मैंने व्यायाम करना आरंभ कर दिया जिसके कारण मेरा रोग दूर हो गया।
- मेरे सम्मुख भीमसेन हनुमान जैसे वीरों की मूर्तियां और चित्र सदैव रहते थे।
- मैं निरंतर यही सोचा करता था कि इनके समान नहीं हो सकता तो अपने शरीर को बलवान तो अवश्य बना सकता हूं।
- 10 वर्ष की आयु में स्थानीय कालिजियेट स्कूल के अखाड़े में भर्ती हो गया।
- उन्हीं दिनों पहलवानों की कुश्ती की खबर सुनकर मेरे मन में भी उत्साह उत्पन्न हो गया मैं पहलवान बनने की इच्छा से व्यायाम करने लगा।
- जो जो रुचि बढ़ती गई त्यों त्यों व्यायामों का अपना अभ्यास बढ़ाता गया।
- मैंने बड़े उत्साह से सेंडो का डम्बल घुमाना शुरू किया परंतु 2 वर्ष बाद ही उसे हताश होकर छोड़ दिया।
- इसका मुख्य कारण यह था कि उससे मुझे विशेष लाभ नहीं प्राप्त हुआ।
प्रारंभ की आयु में मैंने हारिजेंटलबार, पैरेलरबार, रिंग आदि विदेशी ढंग की कसरते की कुछ दिनों के पश्चात इन्हें भी छोड़ दिया और देसी व्यायाम करने लगा। जितने देसी प्रसिद्ध पहलवान मिलते गए उन सब से मैंने शारीरिक शक्ति बढ़ाने की भारतीय प्रथा और उपाय पूछे। परंतु कोई संतोष प्रद विधि ना बता सका। इस समय तक मैंने इंट्रेंस क्लास तक अंग्रेजी और थोड़ी संस्कृत पढ़ ली थी।
संस्कृत के पठन-पाठन में मुझे विशेष आनंद आया शारीरिक उन्नति के साथ-साथ अपने आर्य धर्म के शास्त्र मूल संस्कृत भाषा में पढ़ें। गीता के साथ-साथ सुश्रुत आदि आयुर्वेदिक ग्रंथ भी देखे। अपने शास्त्र के अध्ययन में मुझे शारीरिक उन्नति का सर्वोत्तम उपाय सुझाई पड़ा।
अतः समस्त विदेशी ढंग छोड़ कर यही ग्रहण किया और घोषणा कर दी कि भीम, हनुमान, अर्जुन, आदि पूर्वजों के गौरव को बढ़ाने वाली यही सर्वश्रेष्ठ व्यायाम की प्रणाली है। इस देसी व्यायाम में सामान और औजार आवश्यक नहीं धन का कुछ भी व्य नहीं बस अभ्यास ही सब कुछ है
जिससे शरीर के पुट्ठे मजबूत होते हैं पुठो की दृढ़ता के लिए प्राणायाम की आवश्यकता है मैं प्रतिदिन 3:00 से 6:00 बजे तक प्राणायाम करता था। 12 मील बिना विश्राम पैदल चलता था इसके अतिरिक्त प्रतिदिन एक घंटा जल में तैरता था।

प्रोफेसर राममूर्ति जी एक अन्य स्थान पर लिखते हैं-
आरंभ आरंभ में व्यायाम करने में शरीर अकड़ने लगता था बहुत बार में आधा व्यायाम करके छोड़ देता अखाड़े में आना दूभर ज्ञात पड़ता। किंतु तुरंत ही मेरे मन के देवता जाग पड़ते अपने आदर्शों को सिद्ध करने की मैंने प्रतिज्ञा कर ली थी यदि ऐसा ना कर सकूं तो मृत्यु अच्छी।
अंत में दुर्बलता पर मुझे विजय मिली धीरे-धीरे व्यायाम बढ़ने लगा उस समय मेरे व्यायाम का ऐसा करम था भोर ही उठकर घर से 3 कोस तक दौड़ता एक फौजी खड़ा था वहां जाकर खूब कुश्ती लड़ता था लड़कर फिर 3 कोस दौड़ता हुआ घर आता यहां अपने चेलों के साथ कुश्ती लड़ता उस समय अखाड़े में डेढ़ सौ जवान थे उनसे कुश्ती करने के पश्चात विश्राम कर मैं तैरने चला जाता।
फिर सांझ को 15 सौ से लेकर 3000 तक दंड और 5000 से लेकर 10000 तक बैठक कर लेता यही मेरा दैनिक व्यायाम था। इसका फल यह हुआ कि 16 वर्ष की आयु में मुझ में इतनी शक्ति हो गई कि नारियल के पेड़ पर जोर से धक्का मारता तो दो-तीन नारियल टूटकर भद भदा गिर पड़ते।
इसी व्यायाम के कारण आज मेरी छाती 45 इंच चौड़ी है और फुलाने पर 57 इंच हो जाती है शरीर की लंबाई 5 फुट 6:30 इंच और तोल अढाई मन है।
प्रोफेसर राममूर्ति Rammurthy Naidu के बल के विषय में उस समय का एक लेखक लिखता है।
आज भारत के घर घर में राममूर्ति का नाम फैला है वह कलयुगी भीम है हाथी को अपनी छाती पर चढ़ा लेते हैं। 25 घोड़ों की शक्ति की दो दो मोटर रोक लेते हैं छाती पर बड़ी सी चट्टान रखकर उस पर पत्थर को टुकड़े-टुकड़े करवा देते हैं।
आधे इंच मोटे लोहे की जंजीर कमल की डंडी के समान सहज में ही तोड़ देते हैं। 50 मनुष्यों से लदी हुई गाड़ी को शरीर पर से उतरवा देते हैं। यही नहीं 75 मील की तेजी से दौड़ती हुई हवा गाड़ी उनके शरीर पर से पार हो जाती है यह अलौकिक बल है देवी शक्ति है सुनकर आश्चर्य होता है देखकर दांतो तले उंगली दबाने पड़ती है।
किंतु यह सब बातें देखने में असाध्य प्रतीत होने पर भी असंभव नहीं है यदि प्रयत्न करें तो प्रत्येक मनुष्य राम मूर्ति के समान हो सकता है प्रयत्न भी हो और सच्ची लगन भी हो।
यह पहले ही लिखा जा चुका है कि राम मूर्ति बाल्य काल में श्वास रोग के रोगी थे वह अपनी देह की निर्बलता पर बड़े दुखी रहते थे भीम, लक्ष्मण, हनुमान आदि वीर योद्धाओं की कथा सुनकर उनके मन में सच्ची लगन उत्पन्न हुई।
उन्होंने व्यायाम को अपने जीवन का अंग बनाया वे ब्रह्मचर्य के कट्टर समर्थक थे शारीरिक और मानसिक पवित्रता को ब्रह्मचर्य की नीव समझते थे। ब्रहाचार्य की धुन में ही उन्होंने 44 से 45 वर्ष की आयु तक विवाह नहीं किया भारत के बालकों और युवकों के लिए उन्होंने ब्रहाचार्य और प्राणायाम का क्रियात्मक प्रचार किया उनका स्वभाव बड़ा हंसमुख था वह हंसी को स्वास्थ्य के लिए बड़ा उपयोगी समझते थे।
प्रोफेसर राममूर्ति Rammurthy Naidu सदैव कहा करते थे-
मन से वचन से और तन से पवित्र रहो सादा भोजन करो जीवन सरल रखो प्रतिदिन व्यायाम करो यही संसार में सुखी रहने का मूल मंत्र है।
वह नव युवकों को सदैव इस प्रकार उत्साहित किया करते थे निष्फलता ! निष्फलता ! निष्फलता !!! क्या है? हमने नहीं जाना। एक बार दो बार तीन बार 5 बार 10 बार पर्यतन करते चलो सफलता अवश्य मिलेगी ‘’Do Or Die’’ करो या मरो करूंगा या मरूंगा यही हमारा मूल मंत्र है।
प्रोफेसर राममूर्ति भारत माता के होनहार बालकों की दुर्दशा देखकर उनके उद्धार के लिए व्याकुल होकर कहा करते थे-
भारत के बालकों और युवकों का उद्धार यही मेरे जीवन का मूल सूत्र है वह चाहे कृष्ण और लक्ष्मण भीम और भीष्म या हनुमान के समान हो या ना हो किंतु देश में युवकों की एक अजय सेना तैयार हो यह मेरी मनोकामना है। देश के कोने-कोने में घूमकर मैंने युवकों को प्रोत्साहन दिया है मन, वचन, तन और धन से भारत के नव युवको का मैं सेवक बना हूं 1 दिन में संसार से उठ जाऊंगा किंतु उसके पहले मैं यह आश्वासन चाहता हूं कि मेरी सेवा भारत माता के चरणों में स्वीकृत हुई है।
व्यायाम के विषय में फांसी के तख्ते पर हंसते-हंसते झूलने वाले ब्रह्मचारी रामप्रसाद बिस्मिल जी लिखते हैं।

सब व्यायामों में दंड बैठक सर्वोत्तम है जहां जी चाहा व्यायाम कर लिया यदि हो सके तो प्रोफेसर राम मूर्ति की विधि से दंड तथा बैठक करें प्रोफेसर जी की रीति विद्यार्थियों के लिए बड़ी लाभदायक है थोड़े समय में ही पर्याप्त परिश्रम हो जाता है दंड बैठक के अतिरिक्त शीर्षासन और पद्मासन का भी अभ्यास करना चाहिए और अपने रहने के स्थान में वीरों महात्माओं के चित्र रखने चाहिए। Rammurthy Naidu
ब्रह्मचारी रामप्रसाद जी प्रोफेसर राममूर्ति की पद्धति से प्रतिदिन नियम पूर्वक व्यायाम करते थे इससे उनको कितना आश्चर्यजनक लाभ हुआ इस विषय में भी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं
व्यायाम आदि करने के कारण मेरा शरीर बड़ा संगठित हो गया था और रंग निखर आया था मेरा स्वास्थ्य दर्शनीय हो गया सब लोग मेरे स्वास्थ्य को आश्चर्य की दृष्टि से देखा करते।
ब्रह्मचारी रामप्रसाद जी के विषय में एक स्थान पर लिखा है
उनमें असाधारण शारीरिक बल था तैरने आदि में वे पूरे पंडित थे थकान किसे कहते हैं वह जानते ही ना थे 60, 61 मील निरंतर चलकर वह आगे चलने का साहस रखते थे व्यायाम और प्राणायाम वह इतना करते थे कि देखने वाले आश्चर्यचकित होते थे।

आखिर में मैं आपको बताता हूं प्रोफेसर राममूर्ति जी की मृत्यु कैसे हुई देखिए प्रोफेसर राममूर्ति जी में बल बहुत अधिक था और वो देश भक्त भी थे उनको साधारण तरीके से मारना आसान नहीं था उनको कोई भी युद्ध में तो मार नहीं सकता था उन्हें छल से ही मारा जा सकता था और कोई कानूनी रूप से वह अपराधी भी नहीं थे कि कानून की सजा उन पर थोपी जाती इसलिए अंग्रेजों ने जब हाथी वाली चाल चली और कुछ ऐसा षड्यंत्र रचा की हाथी के द्वारा हाथी के पैरों से उनकी छाती को पूरी तरीके से कुचलवा दिया गया जिस तकते पर हाथी चढ़ा था वह तख्ता उनकी पसलियों के अंदर घुस गया इस प्रकार षड्यंत्र के द्वारा प्रोफेसर राम मूर्ति की अंग्रेजों ने हत्या कर दी थी। Rammurthy Naidu
अगले लेख में आप जानेंगे प्रोफेसर राममूर्ति ने किस प्रकार वह पद्धति खोज निकाली थी जिस पद्धति से हमारे देश के वीर योद्धा श्री राम कृष्ण भीम अर्जुन आदि महाबली व्यायाम करते थे वह प्राणायाम के साथ में व्यायाम करने की विधि अगले लेख में लिखी जाएगी।
राममूर्ति जी की विधि से 1 घंटे का व्यायाम कैसे करें?
यदि आपभी ब्रह्मचारी राममूर्ति जी की विधि से व्यायाम दंड बैठक आदि स्गुरु से आखिर तक सीखना चाहते हैं तो ये वीडियो आपको काफी लाभ देगी आप इस वीडियो को देखिये और सीखिए यदि कुछ बात समझ में ना आए तो कमेन्ट में पूछिए।
निष्कर्ष
यदि आज मनुष्य जाती जिम लोहा बंद कमरे का व्यायाम त्याग दे नशा डब्बा बंद खाना अंडा मांस मछली आदि घटिया खाना त्याग दे और ब्रह्मचारी राममूर्ति जी की तरह कुंभक के साथ देसी व्यायाम और देसी गाय का दूध दही घी लस्सी हरी सब्जी दालें चना आदि श्रेष्ट बल से भरपूर भों करे तो कोई कमजोर नहीं होगा कोई व्येभिचारी नहीं होगा सभी निरोगी स्वस्थ रहेंगे
आपभी आनन्द से जियेंगे और वो बिचारे निर्दोष जिव भी आनन्द से जियेंगे जिन्हें आप निर्दयता से मार कर खा जाते हैं इश्वर आपको श्रेष्ठ बुद्धि दे नमस्ते ओ३म
Uncle aap isee PDF format me de dete toh bahut aacha rehta jai hind
बहुत ही अद्भुत जानकारी,ऐसे महावीर को नमन।
आपका बहुत बहुत आभार यह अमूल्य जानकारी देने के लिए।
जय भारत जय आर्यवर्त
भाई कृपया करके जल्द से जल्द अगला भाग निकालिये। नमस्ते।।
sir please send brahmmurti ji pdf
Brahmachari Prof Ram murti ji k baare mei school evam college mei pathyakram hona chahiye. Woh hamere desh ka gaurav hai. Aaj ki skiksha padhati keval paschayat subhyata ko badwa deti hai ! Aap ka kaam bahut sahraniya hai ! Jai Bharat !
Bhai please Ramamurthy ji ki jivani PDF me uplabdh karayiye . Aapne hamare Jeevan Ko sahi disha dikhayi hai
bhaiya ji agla lekh kb ayega ussme ye jarur bataiyega ki rammurty ji kaise ramurty dand khoji aur unki khanpann kya tha bho bhi batayieyega
I love this kind of exercises please tell me about this.
Bhaisahab prof Ram murthy ki jivani online nhi mil rhi he..Kahan se order karen?Kya aap link send kar sakte hen…Ya fir kya ham swami omanand ji ki kitab brahmachary ke sadhan se hi Prof
Ram murthy ji ke bare me padh sakte hen..
ये वो पहलवान है जिसको the grate gama ने चैलेंज किया था और राम मूर्ति जी ने बोला कुश्ती तो दूर की बात है तुम मेरे पैर को उठा कर दिखा दो तो तुमको जीता मानं लूंगा । गामा साहब चुपचाप चले गए थे। ये भीम के नाम से भी प्रसिद्ध थे।
Sir kindly provide this in pdf…
Bhagwat Geeta ki PDF
ओउम्
Amit Bhai post bohot acche likhe… Aaj Professor Ram Murty Naidu ke baare mein bohot kuch jaan ne ko mila…. Aur mera yehi khayal hai ki aaj Bharat ke Yuva ko unka padanusharan karna Chahiye…
Parantu ek jagah pe aap ne bhool kar diya.. Woh jo patthar ki murti ka photo apne diya hai, woh Jatindracharan Guha ka photo hai. Unhe log Pahalwan Gobar Goho ke naam se jaante hai unka akhara aaj bhi chalta hai Kolkata ke Jorabagan mein. Main saptah ke 4 din usi Akhara mein abhyas karta hu…
Jai Bhawani… Jai Shivaji…
Sir thank you Jo aapne hame hamare poorv champion ki yaad diladi
बहुत खूब।
साधुवाद।
Amit bhai Ram Murti ji bhag 2 jaldi banaaiyemain bahut ismein Ruchi le raha hun to yah bhag 2 jaldi banaaiye please