जडी बूटी के तोड़ने और जमा करने में बहुत कम देखभाल की जाती है और यह नहीं देखा जाता कि इनके जमा करने का समय ठीक है या नहीं। जडी बूटी और इनके सारे भाग हर समय एक ही अवस्था में नहीं रहते | कभी इनमें प्राकृतिक गुणों की कमी हो जाती है और कभी अधिकता । इसी लिए अनाप शनाप तरीके से किसी जड़ी-बूटी को नहीं तोड़ता चाहिए।
बूटियों को जमा करने के लिए मौसम का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है। यदि मौसम बीत जाने पर जमा की जाएं तो अनेक जडी बूटियां बेकार हो जाती हैं। यहां जडी बूटियों और इनके पत्तों, फूलों, जड़ों और बीजों के जमा करने के बारे में कुछ आवश्यक बातें दी गई हैं।
जडी बूटी के जीवन की तिन अवस्था
बूटियों के प्रभाव से पूरा-पुरा लाभ उठाने के लिए इनका ध्यान रखना आवश्यक है। जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में तीन अवस्थाएं आती हैं–
बाल्यावस्था, युवावस्था और व॒द्धावस्था ठीक इसी प्रकार अन्य पशु पक्षियों और वनस्पतियों को भी इन तीनों अवस्थाओं में से गुजरना पड़ता है । वनस्पतियों में फूल आने से पहले बाल्यावस्था होती है, फूल लगने के बाद युवावस्था और उसके बाद वृद्धावस्था या बुढ़ापा आ जाता है।
इसलिए बूटियों को उखाड़ने के समय उनकी अवस्था का ध्यान रखना जुरूरी है, क्योंकि ठीक मोसम और ठीक अवस्था में वे अपने गुणों से भरपूर होती हैं। जिन बूटियों पर फूल नहीं लगते, उनको उखाड़ने का समय मालूम करने के लिए यह देख लेना चाहिए कि वे खूब हरी-भरी हों, बस यही उनके उखाड़ने का ठीक समय होता है ।
दूध वाली जडी बूटी
दूध वाली जड़ी बूटियां उस समय उखाड़नी चाहिए जब वे दूध से खूब भरी हुई हों, अर्थाथ उनकी डाली या पत्ते तोड़ने से उनमें से दूध टपकने लगे । अब दिन में या रात को, सुबह के समय या शाम को किस समय उखाडना चाहिए, इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
साधारणत: जड़ी बूटियों के उखाडने का समय प्रात:काल का ही उत्तम है, जब बूटियां लहलहाती हुई भली मालूम होती हों | दोपहर को धूप की तेजी से बहुत सी बूटियां मुरझा जाती हैं, इसलिए ऐसी अवस्था में उखाड़ी हुई बूटी कम लाभदायक होती है, क्योंकि उस समय वह बूटी निर्बल होती है ।
इसी प्रकार प्रात:काल के समय भी प्रत्येक जड़ी बूटी को उखाड़ने का समय ठीक नहीं, क्योंकि बहुत-सी बूटियां ऐसी होती हैं जो सूरज निकलने के बाद सुबह की धूप में ही खिलती और लहलहाती हैं । इसलिए बूटी को सूरज निकलने के बाद ही उखाड़ना चाहिए, जब उसकी डालियां फूलों से भरी हों।
जडी बूटी के पत्तों को कब तोडे
पत्तों को उस समय तोड़ना चाहिए जबकि वह रस से भरे हों, उसमें पूरे फल आ चुके हों, किन्तु फल पके न हों; क्योंकि जब फल पकने लगता है तो पत्तों के रस का अ्रधिकांश फल को पकाने में चला जाता है, इसलिए पत्ते हरे और रस से भरे तोड़ने चाहिए, पीले या मुरकाए हुए पत्ते बेकार होते हैं। जिस जगह बूटी खूब हरी-भरी, फूली-फली हो, उसी जगह से लेनी हिए ।
जो जड़ी बूटी छाया में फूलती-फलती हैं, उनको खुली जगह से नहीं तोड़ना चाहिए और जो बूटी पानी के किनारे ज्यादा हरी-भरी रहती हैं उनको खुश्क सूखे मैदान में से नहीं लेना चाहिए। इसी तरह जो बूटी सूखे मैदानों में फूलती-फलती हैं, उनको गीली जगह तथा पहाड़ी पर से नहीं लाना चाहिए।
जिस बूटी के फलों में पककर बीज पड़ जाते हैं उस बूटी के पत्तों में असर कम हो जाता है, अतः फूल वाली बूटी के ही पत्ते लेने चाहिए। जो पत्ते छाया में सुखाने वाले हों उनको धूप में नहीं सुखाना चाहिए भौर खूब सूलसुख जाने के बाद कागज के थेलों में रखकर खुश्क जगह ही रखने चाहिए। उनमें किसी प्रकार से सील नहीं आनी चाहिए।
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जड़ी बूटी के फुल तोड़ने का समय
फूल उस समय तोडना चाहिए जबकि वह पूरी तरह खिल चुका हो। मुरझाया हुआ या बगेर खिला फूल नहीं तोड़ना चाहिए और दिन में सुबह के समय से दोपहर’ तक इन्हें तोड़ना ठीक रहता है। जब तक फूल में रंग और गन्ध रहती है, ये लाभदायक होते हैं, इसके बाद बेकार हो जाते हैं ।
जडी बूटी के बीज लेने का सही समय
समस्त बूटी का प्रभाव बीज में होता है, इसलिए बीज उस समय प्राप्त करने चाहिए, जबकि बीज पौधे के सारे रस को चूसकर खूब पक चुके हों, कच्चापन न हो ।
जडी बूटी की जड़े लेने का सही समय
जड़ों में सबसे पहले यह देख लेना जरूरी है कि वे गली-सड़ी या कीड़ों की खाई न हों। जाड़ों में तमाम पौधों का रस निचुड़कर जड़ों में चला जाता है और वसन््त ऋतु में फिर ऊपर चढ़ जाता है, इसलिए जड़ें जाड़ों के मौसम में उखाड़नी चाहिए, जिस समय पौधों के तमाम पत्ते झड चुके हों । जो जड़ें बहुत नरम और तर हों, उनको अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए। जो जड़ें हर समय ताजा मिल सकें उनको उखाड़कर इकट्ठा नहीं करना चाहिए, अपितु जब भी जरूरत हो, ताजा जड़ ही लेनी चाहिए, उनको सुखाने से कोई फायदा नहीं।
बूटियों का रस निकालना
जिस जड़ी बूटी का रस निकालना हो उसको साफ पत्थर के कूंडे या खरल में डाल लकड़ी की मूसली से कूटकर साफ कपड़े से निचोड़कर रस निकालना चाहिए। फिर जिस रस को साफ करना हो उसको चीनी के कपड़-मिट्टी किए हुए प्याले में डालकर, मन्द-मन्द आग पर पकाएं और यदी उसमें झाग उठें तो उनको उतारते जाएं। जब दो तीन उबाल आ जाएं तो उतारकर मोटे और साफ कपड़े से छान ले, इसका साफ भाग छन जाएगा।
इस रस को अगर ज्यादा दिन तक रखना हो तो साफ बोतल में भरकर उसके ऊपर तिल का तेल डालकर मजबूत डाट लगा दें।
जडी बूटी का चूर्ण बनाने का तरीका
बूटियों, पत्तियों, बीजों तथा छालों आ्रादि का चूर्ण लोहे के इमाम- दस्ता या चक्की में कूटकर बनाया जाता है या मशीन द्वारा बनाया जाता है।
जड़ी बूटी का अर्क खींचना
अर्क निकालने के लिए बूटियों को पहले कुछ देर पानी में भिगोकर रख छोड़ना चाहिए। कम-से-कम चौबीस घंटे तक भिगोकर पावभर दवा को चार किलो पानी में भिगोना चाहिए। अगर प्रयोग में दूध भी हो तो दूध उस समय डालना चाहिए, जब अर्क खींचना हो । अर्क निकालने के लिए सबसे अच्छा साधन भबका है। यह भबका बना बनाया मिलता है या बनवा लेना चाहिए। आग बहुत हल्की जलानी चाहिए!
जडी बूटी का भुलभुलाना
अगर किसी चीज का पानी उसको भुलभुला कर निकालना हो (कद, खीरा, ककड़ी आदि) तो उसकी कपरौटी करके या बैसे ही भूभल (गर्म राख) में दबाकर कुछ देर बाद, निकालकर उसका पानो निचोड़ लेना चाहिए।
जडी बूटी का क्षार (खार) निकालना
जिस जड़ी बूटी का क्षार निकालना हो उसको जलाकर उसकी राख को पानी में घोलकर दो तिन दीं तक रखें, फिर उस पानी को निथारकर आग पर पकावें। जब सब पानी जल जाए तो खार बर्तन कीं तली में सफेद-सफेद जम जाएगा। इसे खुरचकर निकाल लें। यह उस जडी बूटी का क्षार (खार) कहलाता है।
सत्व (जोहर) निकालना
जिस बूटी का जौहर निकालना हो उसकी छाल को अधकुटा करके पानी में भिगोकर फिर उबालकर छानकर ठंडा हो जाए तो उसमें गन्धक का तेजाब और चुने का पानी मिलाकर आग पर पकाना चाहिए। जब पकते-पकते मलाई की तरह गाढ़ा हो जाए तो आग से उतारकर रख दो, जम जाएगा।
ओउम् ।भ्राता जी बहुत अच्छी जानकारी दी। धन्यवाद। कृणवंतो विश्वमार्यम्।।
Koi aoshdhi btao ,meri aayu 30 varsh pr mere saath aisa hai ki main baat ko bhut jaldi bhul jata hu kisi ne koi baat khi toh yaad nhi rhti ,yha tk main dopahar ko jo khana khata hu or koi mere sy puche toh main yeh bhi jldi bhul jata hu kya khaya ,kripa krke kuch btaye .